कोरोना वायरस: दुनिया को तैयार करना होगा जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क
कोरोना के बाद जैविक खतरों के मुद्दों को बारीकी से देखना होगा और एक जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जो सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की पूरी श्रृंखला को कवर करेगा'
स्टोरी हाइलाइट्स
कोरोना वायरस के बाद के खतरों पर रिसर्चजैव सुरक्षा फ्रेमवर्क पर विशेषज्ञ का जोरकोरोना के बाद जैविक खतरों के मुद्दों पर ध्यान
कोरोना का कहर अभी भी जारी है. दुनिया भर के देश इस पर रिसर्च कर रहे हैं और कई देश वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. भारत में भी इससे जुड़ी कई सारी रिसर्च चल रही हैं. इसी बीच विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विश्व को अब एक प्रभावी जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जिससे भविष्य में जैविक खतरों से जुड़े मुद्दों को बारीकी से देखा जा सके
दरअसल, विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली (आरआईएस) के महानिदेशक डॉ सचिन चतुर्वेदी के अनुसार कोरोना के बाद जैविक खतरों के मुद्दों को बारीकी से देखना होगा और एक जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क तैयार करना होगा जो सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की पूरी श्रृंखला को कवर करेगा.
उनका मानना है कि इस फ्रेमवर्क में वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रारंभिक चेतावनी, नीति निर्माण, कार्यान्वयन, मूल्यांकन और जैव आपदा से मजबूती से निपटने की क्षमता तैयार करना शामिल होगा. इसके अलावा जैविक युद्ध के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तैयारियों की मदद करने के लिए बायोसाइंस विशेषज्ञता और ज्ञान नेटवर्क को तत्काल विकसित करना होगा.
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