क्या इस बार 20 साल से चले आ रहे गठबंधन के बंधन से मुक्त हो पाएगा बिहार?
बिहार विधानसभा के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो 1969, 1977 व 1990 में भी गठबंधन फार्मूले पर ही सरकार बनी. लेकिन दिलचस्प बात ये है कि वर्ष 2000 से लेकर अब तक बिहार में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और तब से अब तक लगातार गठबंधन फार्मूला ही यहां नई सरकारों का दस्तूर बना हुआ है.
स्टोरी हाइलाइट्स
- बिहार में विधानसभा चुनाव का शोर हुआ शुरू
- गठबंधन पहले मजबूरी, अब जीत का मंत्र
- 2000 से अब तक सिर्फ गठबंधन की सरकारें
भारतीय राजनीतिक परिदृश्य में गठबंधन की सरकारें अब आम बात हो चुकी हैं. केंद्र से लेकर राज्यों तक गठबंधन की सरकारें एक खुले विकल्प के तौर पर सामने आ रही हैं. क्षेत्रीय दलों के बढ़ते कद के बीच राष्ट्रीय पार्टियों की ये मजबूरी हो गई है कि वो गठबंधन के तौर पर अपनी रणनीति तैयार करें. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. .
बिहार में गठबंधन की पहली सरकार 1967 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी. चुनाव के वक्त सभी दल अलग लड़े लेकिन परिणामों में जब किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो संयुक्त विधायक दल यानि संविद का गठन हुआ. इस संविद ने मिलजुल कर सरकार बनाई और कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया. 1967 के बाद से गठबंधन का फार्मूला अक्सर बिहार में नई सरकार के गठन का पर्याय बन चुका है.
No comments: