जानें किस आधार पर दोनों पक्ष कह रहे हैं कि महाराष्ट्र में हमारी ही रहेगी सरकार
महाराष्ट्र में सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं लेकिन इसके बावजूद सबसे दिलचस्प बात ये है कि दोनों पक्ष यह दावा कर रहे हैं कि हमारी ही सरकार बनेगी.
- एनसीपी का दावा पार्टी में बड़ी टूट का संकट खत्म
- बीजेपी का भरोसा सदन में साबित कर देंगे बहुमत
महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार का दिन सियासी उठापटक वाला रहा. राज्य की सियासत में शनिवार को जो कुछ चला वो देश के लिए भी पहला अनुभव था. शुक्रवार शाम को शिवसेना के उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बना रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार सुबह-सुबह भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता देवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेते नजर आए.
महाराष्ट्र की सियासत की बिसात पर अजित पवार की इस चाल ने सबको चौंका दिया. उन्हें भी, जो उन्हें बेहद करीब से जानते हैं. शाम होते-होते राजनीतिक की ये बाजी पूरी तरह बदली हुई नजर आई. अजित पवार को राजभवन में बीजेपी की सरकार बना रहे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेते देखने वाले एनसीपी के कई विधायक शाम होते-होते पार्टी मुखिया शरद पवार के पास पहुंच गए और सत्ता का फॉर्मूला फिर बदल गया.
एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें उन्होंने सूबे में सरकार बनाने के लिए देवेंद्र फडणवीस को आमंत्रित किया था.
सुप्रीम कोर्ट पर नजर
बहरहाल, अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं. लेकिन इसके बावजूद सबसे दिलचस्प है कि दोनों पक्ष यह दावा कर रहे हैं कि हमारी ही सरकार बनेगी. ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति कर्नाटक के नाटक से भी बड़ा होता दिख रहा है. सरकार बनाने से इनकार करने के करीब 16 दिन बाद देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार की सुबह अचानक दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. फडणवीस का शपथ लेना था कि एक साथ सरकार बनाने की कोशिश कर रही शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी हरकत में आईं और अपने-अपने विधायकों को संजोने में लग गई.
सबसे बड़ी टूट का कहर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर गिरना था, लेकिन पार्टी प्रमुख शरद पवार ने आनन-फानन में अपने विधायकों की अहम बैठक बुलाई और इस बैठक में उनके 54 में से 42 विधायक शामिल हुए. बैठक में अजित पवार को हटाकर पार्टी के विधायक दल के नए नेता बनाए गए जयंत पाटील ने कहा कि आज की बैठक में 42 विधायक शामिल हुए जबकि 7 संपर्क में हैं, रविवार को होने वाली एक और बैठक में 49 विधायक शामिल होंगे.
एनसीपी का दावा है कि पार्टी में बड़ी टूट का संकट खत्म हो गया है, ऐसे में एनसीपी का बड़ा सिरदर्द तो दूर हो गया और यह सिरदर्द बीजेपी के ऊपर आ गया. बीजेपी के पास 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 विधायक ही हैं. सरकार को बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 145 विधायकों का समर्थन चाहिए और लेकिन वह इस जादुई अंक से 40 कदम दूर है.
बीजेपी कैसे पास करेगी फ्लोर टेस्ट
बहरहाल, अगर एनसीपी के दावों पर भरोसा किया जाए तो 54 में से 49 विधायक उसके साथ हैं तो सिर्फ 5 विधायकों के दम पर बीजेपी कैसे फ्लोर टेस्ट पर पास होगी. सरकार बनते ही कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी अपने-अपने विधायकों को बचाने की कोशिश में जुट गईं. कांग्रेस ने तो अपने विधायकों को जयपुर भेज दिया जबकि पहले उसकी योजना भोपाल भेजने की थी. शिवसेना भी अपने विधायकों पर नजर बनाए हुए है.
क्या है सीटों का गणित?
पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जहां 105 सीटें मिली थी तो शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली थीं. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में जुटी थी. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने दावा किया कि इस गठबंधन के पास 156 से ज्यादा विधायक हैं और निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी हासिल है. इस तरह से हमारे पास करीब 170 विधायकों का समर्थन है.
फिलहाल, सबकी नजर शीर्ष अदालत पर है कि वहां से किस तरह का फैसला आता है. अगर कोर्ट फ्लोर टेस्ट कराने को कहता है तो बीजेपी के लिए यह जादुई आंकड़ा जुटाना बेहद कठिन होगा.
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