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Sunday, December 1, 2019

Army again shows strength, Asia's highest bridge built in Ladakh

सेना ने फिर दिखाया दम, लद्दाख में बनाया एशिया का सबसे ऊंचा 


चीन से लगती सीमा लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल स्थित शोक दरिया पर एशिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया है. लेह से दौलत बेग ओल्डी के लिए पक्की सड़क भी बन रही है. इस सड़क और पुल के निर्माण ने चीन की चिंता बढ़ा दी है.

  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले महीने किया था उद्घाटन
  • 1400 फीट लंबे पुल से एलएसी तक पहुंच हुई आसान

भारतीय सेना ने लद्दाख में एशिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया है. चीन से लगती सीमा लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल स्थित शोक दरिया पर एशिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण किया गया है. लेह से दौलत बेग ओल्डी के लिए पक्की सड़क भी बन रही है. इस सड़क और पुल के निर्माण ने चीन की चिंता बढ़ा दी है.

अब सरहद पर सैनिकों तक जरूरी साजो-सामान और हथियार आसानी से पहुंच सकेगा. इस कर्नल चेवांग रिनचेन ब्रिज का उद्घाटन रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिवाली के चार दिन पहले किया था. वह सेना प्रमुख के साथ लद्दाख पहुंचे थे और नवनिर्मित पुल पर चहलकदमी भी की थी.

गौरतलब है कि चीन सीमा पर रोड कनेक्टिविटी न होने के कारण वहां की चौकियों तक सामान पहुंचाने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था.

समुद्रतल से 16000 फीट है ऊंचाई

भारतीय सेना ने 16000 फीट की ऊंचाई पर इस पुल का निर्माण किया है. इस पुल की लंबाई 1400 फीट है. 70 टन वजन सहन करने की क्षमता रखने वाले इस पुल के निर्माण से भारतीय सेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी. गौरतलब है कि चीन ने सरहद तक खुद तो सड़कों का निर्माण कर लिया, रेल लाइन बिछा ली, हवाई पट्टी का निर्माण कर लिया, लेकिन भारत को ऐसा करने से रोकने की कोशिश करता रहा.


भारतीय सेना ने चीन की चेतावनियों को दरकिनार कर आंखों में आंखे डालकर इस पुल का निर्माण कराया. इससे सेना के जवान अब पहले के मुकाबले काफी कम समय में चीन सीमा तक पहुंच सकेंगे. साथ ही सेना के बड़े- बड़े टैंक भी इस पुल के रास्ते एलएसी तक जल्दी पहुंच सकते हैं.

Army again shows strength, Asia's highest bridge built in Ladakh Reviewed by AajTakSweta on December 01, 2019 Rating: 5 सेना ने फिर दिखाया दम, लद्दाख में बनाया एशिया का सबसे ऊंचा  चीन से लगती सीमा लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल स्थित शोक दरिया पर एशिया के सबसे ऊंचे प...

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