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Saturday, October 26, 2019

'Treasury' in this temple is distributed by Dhanteras, people keep in the vault

धनतेरस से बंटता है इस मंद‍िर में 'खजाना', त‍िजोरी में रखते हैं लोग


देश में एक मंद‍िर ऐसा भी है जहां साल के चार द‍िन 'खजाना' बंटता है. धनतेरस से यह खजाना बंटना शुरू होता है और दीपावली के अगले द‍िन अन्नकूट तक चलता है. यह अनोखा मंद‍िर उत्तर प्रदेश के वाराणसी में है.

गंगा के पश्चिमी घाट पर भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंग में से एक विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ का मंदिर है. इसी मंदिर के निकट दक्षिण दिशा में मां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर है जो भक्तों को अन्न-धन प्रदान करने वाली मां अन्नपूर्णा का दिव्य धाम है.


दीपावली से पहले धनतेरस पर्व पर मां  का अनमोल खजाना खोला जाता है और श्रद्धालुओं में इसको साल में केवल एक दिन धनतेरस के दिन बांटा जाता है. खजाने के रूप में भक्तों को अठन्नी जैसी चलन से बाहर हो चुकी मुद्रा को मंदिर की ओर से बांटा जाता है.

इसके पीछे की मान्यता है कि इस खजाने के पैसे को अगर अपने घर और प्रतिष्ठान में रखा जाये तो कभी धन, सुख और समृद्धि में कमी नहीं होती. मां अन्नपूर्णा के स्वर्णिम स्वरूप का दर्शन भी वर्ष भर में मात्र चार दिनों के लिए धनतेरस से खोला जाता है. चंद रेजगारी और धान के लावे को पाने के लिए पूरा-पूर‍ा दिन लोग इंतजार में बिता देने के बाद मां अन्नपूर्णा के जब स्वर्णिम दर्शन भक्तों को मिलते हैं तो उनकी सारी थकान मानो गायब हो जाती है.

कई पीढ़‍ियों से अन्नपूर्णा मंदिर में सेवा में लगे महंत परिवार के पास भी कोई ऐसी ठोस जानकारी नहीं है कि कब से वे इस प्राचीन मंदिर से जुड़े हैं और हर वर्ष यहां कितने लाख का 'खजाना' श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है लेकिन चलन की सबसे छोटी मुद्रा का वितरण यहां हर साल धनतेरस वाले दिन खजाने के रूप में धान के लावे के साथ किए जाने की परंपरा चली आ रही है.

मां अन्नपूर्णा के इस स्वर्णिम दर्शन और काशी से जुड़ी भी पौराणिक कहानी है कि काशी के राजा दीवोदास की काशी में किसी भी देवी-देवता का प्रवेश वर्जित था लेकिन मां अन्नपूर्णा को काशी में आना था तो उन्होंने राजा दिवोदास के घमंड को चूर करने के लिए काशी में अकाल ला दिया.


जब राजा दीवोदास ने अपने पुरोहित धनंजय से पूछा कि इस अकाल को कैसे खत्म किया जा सकता है तो उन्होंने मां अन्नपूर्णा की साधना करने की सलाह दी. मां को प्रसन्न करने के लिए राजा दिवोदास ने सभी जतन किए और अंत में मां ने जिस रूप में दर्शन दिया,  उसी स्वरूप की पूजा और दर्शन वर्ष में धनतेरस से शुरू होकर दिवाली के अगले दिन अन्नकूट तक चलता है. मां की स्वर्णिम झांकी में भी यहीं स्वरूप दिखता है जिसमें खुद शिव मां अन्नपूर्णा से भ‍िक्षा मांगते हुए भी दिखते हैं.
'Treasury' in this temple is distributed by Dhanteras, people keep in the vault Reviewed by AajTakSweta on October 26, 2019 Rating: 5 धनतेरस से बंटता है इस मंद‍िर में 'खजाना', त‍िजोरी में रखते हैं लोग देश में एक मंद‍िर ऐसा भी है जहां साल के चार द‍िन 'खजा...

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